badge पुरानीबस्ती : #व्यंग्य - कातिल सिकंदर / महान हिटलर
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Sunday, August 23, 2015

#व्यंग्य - कातिल सिकंदर / महान हिटलर





सिकंदर महान! एक इतिहास बताने वाले चैनल पर जब "सिकंदर महान" सुना तो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की याद आ गई। कठपुतली के रुप में शासन करने के बाद उनके अंतिम साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद है इतिहास उन्हें एक अच्छे प्रधानमंत्री के रूप में याद करेगा। आखिर मनमोहन सिंह जी को अपने नाम को लेकर इतिहास की चिंता क्यों हुई?



सवाल उनका बहुत सही था। कुछ ही दिन पहले "द एलेक्जैंडर - एन्ड हिस ग्रेट स्ट्रैटजी" पढने का मौका मिला था इसलिए मनमोहन सिंह की चिंता जायज लगी। भारत के एक लेखक(जो विदेश में रहते हैं) द्वारा लिखी इस किताब में एलेक्जैंडर की युद्ध नीति का प्रयोग आज के व्यापार जगत में किस तरह किया जा सकता है इस बात का विवरण विस्तार से लिखा गया है। एलेक्जैंडर की कहानी पढ़ने में रूचि बढ़ रही थी। उसकी जिंदगी एक महागाथ की तरह थी। रोम के कुछ इतिहासकारो ने तो उसे भगवान का अवतार तक बता दिया है। 

सिकंदर महान? अपने पिता की मृत्यु के बाद सिकंदर ने रोम का शासन संभाला। उसके पिता की मृत्यु में कुछ इतिहासकार सिकंदर और उसकी माँ का हाथ भी बताते हैं लेकिन सिकंदर की मृत्यु की तरह ये बात भी हमेशा से कई कहानियों में कही गई है। चलिए यदि सत्ता पाने के लिए सिकंदर ने अपने पिता का कत्ल नही किया तो भी क्या वो महान है?

सिकंदर पूरे विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था और यदि इतिहास सही तरीके से याद करें तो हिटलर भी यही करना चाहता था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मित्र देशों ने जर्मनी पर कई ऐसी शर्तें लगाई और ऊपर से मंदी  जिससे जर्मनी की आम जनता का जीना दूभर हो गया और "शायद" हिटलर की तानशाही की बुनियाद उसी शोषण से पड़ी। लेकिन सिकंदर तो अपने राज्य में खुश था सिर्फ संसार पर आधिपत्य कायम करने के लिए उसने लोगों से युद्ध शुरू कर दिया।

इतिहास बताता है कि एक बार हिटलर ने कई यहूदियों को एक कमरे बंद करके उसमें आग लगा दी। मरनो वालों की संख्या का ज्ञान मुझे नही परंतु  काफी रहे होंगे वही दूसरी तरफ विश्व विजय यात्रा के दौरान एक जीते हुए शहर के लोगों ने सिकंदर के वहा से जाने के बाद विद्रोह कर दिया और उसके बाद सिकंदर ने वहा लौटकर एक उदाहरण पेश करने के लिए पूरे शहर को जलाकर वहाँ के लोगों को जान से मार दिया। लगभग - लगभग हिटलर ने वाही सब किया जो सिकंदर  किया था।  सिर्फ हिटलर अपने  कत्ले आम को अपनी जाति और वंश के नाम पर कर रहा था और सिकंदर मात्र विजय के लिए। 

सिकंदर ने अपनी विश्व विजय यात्रा के दौरान कई लाख लोगों को जान से मारा और वो सब भी उतने ही बेगुनाह थे जितना वो लोग जो हिटलर की तानशाही युद्ध नीति के चलते मरे। फिर सिकंदर को महान और हिटलर को तानशाह बनाकर घृणा की नजर से क्यों देखा जाता है? शायद यही कारण  है कि इतिहास आपको कैसे याद रखता है ये बात बहुत मायने रखती है।





कुछ ज्ञान देना चाहें तो टिप्पणी में दे दे  :)  





अगले सोमवार को एक नए व्यंग्य के साथ मिलेंगे और गुरुवार को #ब्वॅाय_फ्रॅाम_बॅाम्बे - 1 (ड्रामा)  पढ़ने आ सकते हो. जहाँ बॉम्बे से मुंबई की कहानी और झुग्गी से बड़ी - बड़ी बिल्डिंगों की कहानी का एक पहलू होगा ।


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