कबीर और बब्बी नए घर में शिफ्ट हो गए। कबीर ने बब्बी को होने वाले बच्चे के भविष्य को लेकर एक ऐसा सपना दिखाया कि बब्बी ने कबीर की बात मान ली। कुछ ही दिनों में बब्बी को एक बेटा पैदा हुआ लेकिन वो अपनी जिंदगी की कुछ सांसें लेकर आया था और जन्म के तीसरे दिन ही उसकी मृत्यु हो गई।
बब्बी को इस सदमे से उभरने में कई महीने लग गए और वही दूसरी तरफ कबीर नामदेव के साथ ऊंचाई छूने लगा था। ताज लैंड्स एंड में रहना, खाना-पीना और अब तो कबीर वैश्याओं को बुलाकर उनके साथ सेक्स करता था। बचपन में संज्या के साथ उसने बार गर्ल वाला जो दृश्य देखा था वो अब स्वयं भी करने लगा था।
कबीर का दूसरी औरतों के प्रति आकर्षण बब्बी के कोपवास के कारण हुआ था। बच्चे की मृत्यु के सदमे से बब्बी उभर नही पा रही थी और कबीर उस बात को भुलाकर आगे बढ़ना चाहता था। समय कबीर के साथ था और जिस वस्तु पर हाथ रखता उसकी हो जाती थी।
बिल्डिंग निर्माण के धंधे मे मुनाफा बहुत है लेकिन जान का जोखिम उससे भी अधिक है। मुंबई से लेकर दुबई तक लोगों को बिल्डिंग बनाने के लिए हफ्ता खिलाना पड़ता था। नामदेव स्वयं नेता था इसलिए उसे कम लोगों को पैसा खिलाना पड़ता था लेकिन ऐसा नही था कि वो बिना हप्ता खिलाए बच निकले।
दुबई के भाई को हप्ता देने में नामदेव कुछ दिनों से देरी कर रहा था। भाई ने दो बार नामदेव को चेतावनी दे दी थी और उसके कुछ प्रोजेक्ट का काम भी रुक गया था लेकिन नामदेव ने भी इस बार हप्ता ना देने का इरादा कर लिया था। नामदेव ने अपने चारों तरफ गार्ड की सिक्योरिट बढ़ा दी थी लेकिन एक दिन शाम के वक्त नामदेव हर मंगलवार की तरह गणेश मंदिर जा रहा था और मंदिर के गेट पर पहुंचते ही उसपर गोलियों की बरसात हो गई। नामदेव या उसके गार्ड कुछ करते उससे पहले ही सभी का काम तमाम हो चुका था।
नामदेव की अंतिम यात्रा में बहुत बड़े बड़े नेता, अभिनेता, समाजसेवक, बड़े व्यापारी और बहुत से रहिश लोग आए थे। उसकी अंतिम यात्रा को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि कोई संत इस दुनिया को छोड़कर चला गया है।
इस कहानी में कुल १२ भाग है और हर गुरुवार को हम नए भाग के साथ मिलेंगे . आप इस कहानी पे हमें अपनी टिपण्णी जरूर लिखें.
सोमवार को व्यंग्य पढ़ने के लिए आप व्यंग्य पुरानीबस्ती आ सकते हैं
No comments:
Post a Comment