जब आपने इस व्यंग्य का शीर्षक पढ़ा तो आप लोगों को लगा होगा कि मैं किसी ऐसे कुत्ते की कहानी लिखने जा रहा हूँ जो बहुत पैसे वाला होगा, एंटीला में रहता होगा, सुबह,शाम का नाश्ता और दोपहर रात के खाने में सिर्फ और सिर्फ मटन-चिकन खाता होगा। आप को शायद यह भी लग सकता है कि टहलने के लिए अमीर कुत्ता चौपाटी तक बीएमडब्ल्यू में जाता होगा। आपको यह सब लगना बहुत सही है, सिर्फ एक बात अपवाद है कि कुत्ता अमीर नही है कुत्ते का मालिक अमीर है।
मैं एक गरीब सड़क छाप कुत्ता हूँ। आपके घर के अगल- बगल घूमता मिल जाऊँगा। मैं वही कुत्ता हूँ। जो आपकी गाड़ी के पीछे दौड़ता हूँ। मैं वही कुत्ता हूँ जो बात बेबात पर आपके ऊपर भौंकता हैं। मैं आपके टुकड़े पर जीता हूँ और आपको ही मौका मिलने पर काटता हूँ। मैं उस अमीर कुत्ते की तरह नही हूँ क्योंकि मुझे तो किसी तरह का इंजेक्शन भी नही लगाया गया कि मेरे काटने पर जहर ना फैले। लेकिन यह व्यंग्य एंज्लिना जॅाली पर है तो कटरीना कैफ की बात करके आपका जायका नही बिगाड़ना चाहता हूँ।
एक दिन उस अमीर कुत्ते का मालिक कार से बाहर निकला ही था कि उसे एक ट्रैफिक पुलिस वाले ने पकड़ लिया। वाद विवाद इतना बढ़ गया कि मालिक को कुत्ते की सुध नही रही। पुलिस वाला मामला बहुत गंभीर होगा,, अन्यथा अमीर मालिक अपना बेटा खो सकता है लेकिन कुत्ते को कभी नही खोएगा। बेटा तो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है लेकिन कुत्ता उनके सुख-दु:ख का साथी है और कभी किट्टी पार्टी भी नही करता है। वैसे आवारा लोगों को महल और महल के लोगों को आवारा गलियों का शौक हमेशा से रहा है।
अमीर कुत्ता भटकते भटकते हमारी गली में आ पहुँचा। उसे देखते ही मैं समझ गया कि यह पढ़ा लिखा टाईप का दक्षिण मुंबई (SoBo) का रहने वाला कुत्ता होगा। गरीब तो हमेशा अमीरों की खिदमत के लिए बना है। उसे देखते ही मेरे अंदर का गरीब धर्म जाग गया। बाकी के गली के कुत्ते उसपर भौंक रहें थे। वो सब अनपढ़ थे उन्हें क्या पता अमीर कुत्ते का सम्मान कैसे करते हैं। मैं थोड़ा पढ़ा लिखा था, बोरीवली के राजड़ा म्युनिसिपल स्कूल से १०वी की पढ़ाई की थी, वो अलग बात है कि दसवीं पास नही हो पाया था। अंग्रेजी छोड़कर सभी विषयों में फेल हो गया था। कुछ और बार परीक्षा देने की कोशिश करता उससे पहले दादा जी मौत की सय्या पर लेट चुके थे। उनके खाने-पीने का इंतजाम करने का जिम्मा मुझपर आ गया और फिर मैं भी भौंकने के धंधे में आ गया।
मैंने बाकी कुत्तों से कहा की उसे अकेला छोड़ दो वो मेरे घर पर मेहमान बनकर आया है। अंग्रेजी का ज्ञान तो मुझे था ही, राजड़ा स्कूल का एहसान इस बात के लिए हमेशा मानता रहूँगा।
"हैल्लो सर, माय नेम पिल्लू"
"हैल्लो पिल्लू! माय नेम इज् वॅाल्टर।"
"अच्छा तो आप ईसाई हैं? कोई बात नही मेरा कोई भी दोस्त ईसाई नही है, अब मैं भी लोगों को कहूंगा की कपिल शर्मा मेरा दोस्त है। ओह सॅारी लोगों को कहूंगा की वॅाल्टर मेरा दोस्त है।"
क्रमशः
#व्यंग्य - अमीर कुत्ता �� - 2
hmmm...
ReplyDeletedekhte hai aage kya hota hai..
www.apratimblog.com
jo bhi hoga, achha to nahi hoga
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