badge पुरानीबस्ती : #कविता - लिखते गए यादों को
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Wednesday, February 17, 2016

#कविता - लिखते गए यादों को




लिखते गए यादों को

एक कोरे पन्ने पर,
पलट कर देखा
कुछ भी लिखा नही था।

दोष किसका है,
उस कलम का जिसने लिखा नही,
या स्याही जो कोरे रंग की थी।

शायद खयाल भी दोषी होंगे,
बड़े हल्के और बारीक थे,
कुछ 
गाढ़े होते तो
कोरी स्याही से भी छप जाते।

उस नीब को क्या कहना,
जिसका चलना दुसवार था,
खरोंच तो सकती थी,
कुछ शब्दों को पन्ने पर।

अब इन कोरे कागजों को,
दफनाने का जुर्म करना है,
शायद जाग जाए,
कब्र के अंधेरे में,
जैसे उस दिन सियाह रात में 
आकर छू गए थे।

लिखते गए यादों को
एक कोरे पन्ने पर,
पलट कर देखा
कुछ भी लिखा नही था।

4 comments:

Tricks and Tips