badge पुरानीबस्ती : #कविता - मेरा साया
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Wednesday, February 24, 2016

#कविता - मेरा साया




अंधेरे में एक साया दिखता है,


शायद मैं ही हूँ, 


पर शकल नही मिलती, 


जब भी लाइट जलाकर


आईने में निहारता हूँ, 



​तो ​

कहीं लापता हो जाता है,

खूब खेलते हैं,
हम दोनों आपस में,
कभी कभी तो,
बल्ब के 

​उजाले 

मे
वो चार हो जाते 

​हैं.









​हुबहू मेरी नक़ल करता,


मेरे साथ उठता,


मेरे साथ बैठता,


सोता भी तभी है,


जब सारे बल्ब बंद कर देता हूँ.





अब लगता है,


वो मेरे साथ ही चलेगा,


बढ़ेगा मेरे साथ ऊपर,


मेरे साथ नीचे गिरेगा,


शकल भले ना मिले,


शकल भले ना मिले मुझसे,


वो मेरे साथ ही दफ़न होगा। 





No comments:

Post a Comment

Tricks and Tips