माल्या को कौन नही जानता है। समाज सुधारक माल्या पहले ऐसे नही थे। यदि उनके संत बनने के पहले की जिंदगी देखेंगे तो आपको उनका एक ऐसा जीवन मिलेगा जिसमें शराब, शबाब और कबाब ही उनके जीवन का मकसद था। माल्या रास्ता भटक चुके थे।
भटके हुए माल्या को रास्ते पर लाने के लिए एक धर्मगुरु का बहुत बड़ा योगदान है। वो घटना कुछ इस तरह है।
फलाना साधू को पता था कि माल्या जिस तरह का जीवन यापन कर रहा है कुछ ही दिनों में उसे बावासीर अपने कब्जे में ले लेगा। लेकिन माल्या तो शराब,शबाब और कबाब का उपभोग करने में व्यस्त था। जब माल्या को इस बात का ज्ञान हुआ कि कोई साधू उसके बावासीर के रोग के बारे में लोगों को बताते फिर रहा है तो माल्या उसे मारने के लिए निकल पड़ा क्योंकि बावासीर की बात लोगों में फैल जाती तो लोग उसको चुम्मा देना छोड़ देते।
साधू भी माल्या से मिलना चाहता था। दोनों अचानक एक एयरपोर्ट पर मिल गए। माल्या साधू पर क्रोधित हो रहा था कि तभी साधू ने एक पानी से भरा हुआ गिलास दिखाकर माल्या को पूछा इसमें क्या दिख रहा है। माल्या ने कहा बीयर है। बीयर नही इसमें पानी है और यदि इस पानी को पीना नही छोड़ोगे तो तुम्हें बावासीर हो जाएगा। माल्या ने कहा लेकिन मुझे तो बावासीर हो गया है और आप सभी को इस बारें में बताकर मेरी बेइज्जती कर रहें हैं।
साधू ने माल्या से कहा मैं तुम्हें बावासीर से मुक्ति दिलवा सकता हूँ लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरे शरण में आना होगा। और उस दिन से माल्या को लोग संत माल्या के नाम से जानते हैं। संत बनने के बाद माल्या ने औरतों और लड़कियों को पकड़ पकड़कर चूमना छोड़ दिया। अप्सराओं को साथ में लेकर घूमना फिरना छोड़ दिया और अब संत माल्या लोगों को बावासीर से बचने का उपदेश देते हैं।
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
धन्यवाद, जरूर पढ़ेंगे
Deleteधन्यवाद
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