पिछले सोमवार से अंधेरी स्टेशन पर एक नया बैनर हर जगह लगा देखा। समाज सुधारक मालया साहब के कोष में गरीबी हटाने के लिए दान दे । यदि आपके पास दान देने के लिए पैसे नहीं हैं तो आपको सिर्फ एक सरकारी बैंक के लोन का फॅार्म भरना होगा। लोन का पैसा सीधे मालया साहब के खाते में जमा हो जाएगा जिससे आप उसे लेकर गलत इस्तेमाल ना कर सकें क्योंकि ये अधिकार पूर्णतः मालया साहब को दिया गया है।
यदि आप लोन ना चुका सके तो कोई घबराने वाली बात नही है। बैंक मालया सर से बात करके आप का सारा लोन माफ कर देगा और उसे उनकी बुक से राइट ओफ कर देगा क्योंकि लोन का पैसा कोई बैंक मैनेजर या उसके अध्यक्ष के जेब से तो नही जा रहा है। पैसा तो जनता का है और जनता के पास चला गया। जिससे समाज सुधारक मालया साहब ने गरीबों की मदद करने को लिए इस्तेमाल किया।
जनता का पैसा जनता के पास चला गया ?
कैसे?
कैसे?
कैसे?
आपने लोन लेकर मालया सर को पैसा दान दिया। मालया सर ने उस पैसे का सदुपयोग करते हुए खुब जमकर शराबबाजी की जिससे उस दुकानदार की आमदनी बढ़ी और उस कंपनी की आय बढ़ी जिस ब्रैंड की शराब वो पीते हैं। उस शराब का नाम किंगफिशर मत समझ लेना क्योंकि किंगफिसर तो मालया साहब का कुत्ता भी नही पीता है। उस गरीब मजदूर की आमदनी बढ़ी जो शराब की बोतलों वाला बॅाक्स रखता उतारता है, मतलब कुल मिला जुलाकर मालया साहब गरीबी हटाने के साथ साथ भारत की जीडीपी के विकास में भी मदद कर रहें हैं।
मालया साहब का गरीबी दूर करने का दूसरा तरीका है लड़कीबाजी करना, अब लड़कीबाजी से कुछ गलत मत समझ लेना। मालया साहब आपके लोन लिए पैसों से उन गरीब लड़कियों को नौकरी पर रखते हैं जो कुपोषण का शिकार हैं, यदि आप मेरी बात ना मानो तो उनकी कंपनी का कैलेंडर उठाकर देख लो । उनके कैलेंडर पर उन गरीब दुबली-पतली कुपोषण ग्रस्त लड़कियों की तस्वीर मिलेगी जिनके पास तन ढखने के लिए ढंग के कपड़े भी नही हैं। मालया साहब उन गरीब लड़कियों को लेकर विदेश घूमने जाते हैं याद है ना लालूजी गरीब लोगों को अपने हेलीकॉप्टर में बैठने को कहते थे। मालया साहब गरीब लड़कियों की फोटों खिंचवाने की इच्छा भी पूरी करते हैं।
मालया साहब की गरीबों के प्रति उदारता देखकर मेरा दिल करता है कि अपना घर बेचकर उनके राहत कोष में पैसा जमा करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वो बैंकों को बोलकर अधिक से अधिक लोन मालया साहब के राहत कोष में दे जिससे गरीबों का भला हो।
मालया साहब जैसे महान समाज सुधारक को भारतरत्न भी मिलना चाहिए।
बहुत ही सटीक व्यंग्य
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत खूब भाई, कोई जवाब नही आपका। मैने हजारों व्यंग्य पढे़ हैं, पर कटाक्ष,व्यंग्य और हास्य का जैसा नपा तुला मिस्रण आपके लेख मे रहता है, वो कहीं नहीं मिला। आप यकीन नहीं मानेंगे पर मैंने आपके अधिकांश लेखों के प्रिंट आउट्स अपनी दीवारों पर चिपका रखे हैं,और हर दिन दफ्तर से आकर उन्हें पढ़ता हूँ। आज सैटर्डे नाइट है,झूठ नही बोलुंगा..आप न होते तो शायद कई लोगों को पता भी न चलता कि व्यंग्य का मतलब क्या होता है, जिनमें से मैं भी एक हूँ। शत शत नमन ऐसी कला को और ऐसे कलाकार को _/\_
ReplyDeleteधन्यवाद शुभांश, ऐसे ही व्यंग्य करते रहो
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी टिप्पणी है। हर एक को इस खोखले हो रहे व्यवस्था पर उंगली उठानी चाहिए।
ReplyDeleteसही कहा आपने लेकिन ऐसा होगा नहीं
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