badge पुरानीबस्ती : #कविता - चलो खरोचकर एक लमहा निकाले
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Monday, April 11, 2016

#कविता - चलो खरोचकर एक लमहा निकाले




चलो खरोचकर एक लमहा निकाले, 

तराशे उसे और खुशियों से भर दे,

वो पुरानी यादें जो दबी पड़ी हैं,
लहमे की कुदाल से खनकर निकाले,

कुछ लमहे जो घीसकर कमजोर हो गएँ,
उन्हें तंदुरुस्ती की थोड़ी कसरत कराएँ,

एक लमहा जो बचपन में बिछड़ गया था,
सुना है आज कल वापस आ गया है,

वो लमहा लटक गया था बाहों को धरकर,
पुरवाई चलने पर अभी भी दर्द होता है,

चलो खरोचकर एक लमहा निकाले, 
तराशे उसे और खुशियों से भर दे,

2 comments:

  1. वो पुरानी यादें जो दबी पड़ी हैं,
    लहमे की कुदाल से खनकर निकाले,

    ...आँखों के समक्ष चलता एक चलचित्र..बहुत मर्मस्पर्शी भावमयी रचना जो अंतस को छू जाती है..

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