badge पुरानीबस्ती : #कविता - मेरी प्यास बड़ी है
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Monday, June 27, 2016

#कविता - मेरी प्यास बड़ी है


गर्मी के दिन है, पंक्षी प्यासे है ,


भटक रहे है इस डाल से उस डाल  !



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

प्यास है मुझे सोहरत की ,



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

प्यास है मुझे नाम, मनमानी  की ,



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

प्यास है मुझे घर, गाड़ी, साकी की ,



प्यास नहीं बुझेगी मेरी पानी से ,

पंक्षी पानी से प्यास बुझाते है  !



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

सात समन्दर फिरने की प्यास  !



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

लोगो को नीचा दिखने की प्यास  !



इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,

दौड़ के भीड़ से आगे निकल जाने की प्यास  !







गर्मी के दिन है, पंक्षी प्यासे है ,


भटक रहे है इस डाल से उस डाल  !




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