badge पुरानीबस्ती : #कविता - चलो दीप जलाते हैं
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Saturday, October 29, 2016

#कविता - चलो दीप जलाते हैं



काका के दरवज्जे पर बम फोड़ेंगे,
मस्ती के पिछले रिकार्ड तोड़ेंगे,
चलो दीप जलाते हैं,
दो चार को हँसाते हैं,

चकरी तेज घुमाते हैं,
राकेट हाथ से उड़ाते हैं,
चलो दीप जलाते हैं,
दो चार को हँसाते हैं,

मिठाई खुब उड़ाते हैं,
नमकीन दबाकर खाते हैं,
चलो दीप जलाते हैं,
दो चार को हँसाते हैं,

शुभ दिवाली चिल्लाते हैं,
मस्ती में धूम मचाते हैं,



चलो दीप जलाते हैं,
दो चार को हँसाते हैं,




धुंए का जहाज बनाते हैं,
आग को आँख दिखाते हैं
चलो दीप जलाते हैं,
दो चार को हँसाते हैं,




















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