लड़िया सज रही है सड़को पर,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
भूखे बच्चे बेचते समान,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
रंगदार बाजार से चंदा ले रहे हैं,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
डाकिया घर घर फिर रहा है,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
मातम छिप गया है उजालों में,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
माँ तक रही रस्ता बच्चों के आने का,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
सिसकियाँ ले रहा हूँ कोने में,
लगता है फिर कोई त्यौहार आया है,
सुन्दर ।
ReplyDeleteवाकई एक बेहतरीन रचना है ! आनन्द आया !
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