badge पुरानीबस्ती : #कविता - सत्य बड़ा बिगड़ैल है
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Wednesday, December 21, 2016

#कविता - सत्य बड़ा बिगड़ैल है


चला है सत्य दौड़ लगाने,
असत्य से फिर हार जाएगा,

पिछली बार जो गिरा था मुँह के बल,
सत्य उस हार को भूल गया,
उसे जिस तरह रौंदा था असत्य ने,
सत्य उस मार को भूल गया,

क्यों भूल जाता है सत्य,
दिन उसके कब के लद गए,
असत्य ने जो वादे किये,
वो सत्य से आगे बढ़ गए,

सत्य समझाने पर नहीं मानेगा,
सत्य पुनः दौड़ लगाएगा,
सत्य पुनः मूकी खाएगा,
सत्य पुनः धूमिल होकर कराहेगा,
सत्य पुनः पराजित होकर,
सत्य के पथ पर जाएगा,

सत्य बड़ा बिगड़ैल है,
उठकर फिर - फिर से लड़ने जाएगा।

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