badge पुरानीबस्ती : #कविता - भीग गए हो तुम, अब बारिश से क्या डरना।
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Thursday, February 9, 2017

#कविता - भीग गए हो तुम, अब बारिश से क्या डरना।





बेटा मैं यहाँ बहुत खुश हूँ,


तुम भी वहाँ खुश रहना,


सत्य के पथ पर चलना,


असत्य से लड़ते रहना,


भीग गए हो तुम,


अब बारिश से क्या डरना।





संकट मिलेंगे तुमको,


विपदाओं से लड़ते रहना,


विजय पताका देर से सही,


आकाश में लहराते रहना,



भीग गए हो तुम,


अब बारिश से क्या डरना।





मिलेंगे दुश्मन बनकर दोस्त,


कपट करेंगे, छलेंगे तुमको,


डगमग और पथविचलित होकर भी, 


आगे बढ़ते रहना,



भीग गए हो तुम,


अब बारिश से क्या डरना।






सत्य बुलायेगा तुम्हें,


असत्य पथ भ्रमित करेगा,


लोग कहेंगे पीछे हटने को,


तुम मन की सुनकर चलते रहना,


भीग गए हो तुम,


अब बारिश से क्या डरना।



4 comments:

  1. आकाश में लहराते रहना,
    भीग गए हो तुम,
    अब बारिश से क्या डरना।
    ये पंक्तिया ख़ास तौर पर पसन्द आई ..... अच्छी रचना ..पढ़कर अच्छा लगा ..

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