इस फोटो में दिखाई गई जंगली बिल्ली, ईसाई है |
बचपन से 'नौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली" की कहावत सुनता आ रहा हूँ। आप लोगों ने भी सुना होगा। लेकिन क्या आप लोगों ने सोचा कि बिल्ली इतने सारे चूहे खाकर चलने के काबिल बची थी या उसे जबरदस्ती चलने के लिए मजबूर किया गया। यह भी हो सकता है कि बिल्ली इतने सारे चूहे खाने के बाद काफी मोटी हो गई हो और डायटिंग करने के लिए चल दी हो।
कहावत से यह बात साफ लगाती है कि बिल्ली मुस्लिम धर्म को मानती है क्योंकि हज पर सिर्फ मुस्लिम धर्म के लोग ही जा सकते हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि यह कहावत तब सार्थक होती है, जब बहुत से गलत काम करने के बाद, कोई व्यक्ति अचानक से अच्छे काम करने की बात करने लगे। लेकिन यदि बिल्ली मुसलमान है तो चूहा खाना तो इस्लाम में वर्जित नहीं है, इसलिए बिल्ली ने कोई गलत काम नहीं किया तो कहावत का अर्थ पूर्णतः गलत है।
अर्थात आप इतने सालों से कहावत को गलत उदाहरण के लिए प्रयोग कर रहें हैं। यदि आप को कहावत, सही मानना है तो बिल्ली को मुस्लिम धर्म से अलग करना होगा। यदि बिल्ली इस्लाम धर्म नहीं मानती तो फिर बिल्ली हिन्दू धर्म की होगी और यदि बिल्ली हिंदू धर्म की है तो वो बनारस, हरिद्वार, संगम और गया जायेगी। यदि कोई हिंदू बिल्ली को हज पर भेज रहा है तब वह समाज के पसरे हिंदू - मुस्लिम प्यार को भंग करना चाहता है।
भारत से हज की हवाई दूरी चार हजार किलोमीटर है। क्या बिल्ली इतने दूर, उड़कर गई होगी? यदि वो विमान से गई होगी तो उसका पासपोर्ट भारत में नहीं बन सकता है। क्योंकि बिल्ली पुलिस को वेरिफिकेशन के दो सौ रुपये कहाँ से देगी। इसका मतलब बिल्ली भारतीय नहीं है। और जब बिल्ली भारतीय नहीं है तो वो चूहे खाये - ना खाये। हज पर जाये - ना जाये। हमें आपको क्या करना है।
चूँकि इस कहावत में बिल्ले का जिक्र नहीं है। इसका मतलब कहावत लिखनेवाला सिर्फ बिल्ली - मादा प्रजाति को ही गलत काम करने का दोषि बता रही है। जिससे महिलाओं के चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है, जो सरासर गलत है।
यह कहावत किसी भी तरह से कहावत की परिपाठी में नहीं बैठती है इसलिए इस कहावत को तत्तकाल समय से रद्द किया जाता है।
कहावत तो हम सभी ने सुन रखी है लेकिन हम कभी भी किसी बात पर इतना मनन कहा करते है? बिल्ली चूहे खाकर हज को गई। गई। ठीक है।
ReplyDeleteयदि वास्तव में हम सब ऐसा गहन सोचने लगे तो हमे सभी समस्याओं का समाधान मिल सकता है। खैर।
पढ़ते वक्त वास्तव में मजा आ गया।
सही कहा आपने
Deleteहा हा बहुत मजेदार. इस कहावत में कई लोगों की भावनाएं आहत करने की क्षमता है. मुझे हैरत है इतने दलों में से किसी ने भी इसके लिए आवाज़ क्यों नहीं उठाई. मुझे इसमें कई संभावना दिखती हैं. हा हा
ReplyDeleteइसे चुनावी मुद्दा बना देते हैं
DeleteAchhi rachna hai. Badhai !
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