badge पुरानीबस्ती : कौन है किसानों की हत्या का जिम्मेदार ?
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Thursday, June 15, 2017

कौन है किसानों की हत्या का जिम्मेदार ?





माना जाता है कि अपने पीने के पानी का मटका भी स्त्रियों के सिर पर रखकर ढुलवाने वाले पुरुष धर्म के नामपर तलवार उठाकर बिना किसी डर और अधर्म के निरअपराध मनुष्यों की हत्या करने के लिए तैयार हो जाते हैं।





जय किसान, जय जय किसान कुछ उसी मटका ढुलाई और धर्म के नाम पर हत्या करनेवाले सिद्धांत की कड़ी का नया और विस्तृत रूप है। जिस देश में तीस करोड़ से भी अधिक लोग गरीबी और भुखमरी से लड़ रहे हैं वहाँ किसान की निरअपराध हत्या होना कोई चौकानेवाली बात नहीं है। 





चुनावों के समय किसानों की जी हुजूरी करनेवाला नेता समाज चुनाव जीतने के बाद किसान की मामूली जान तक नहीं बचा पाता है। अंग्रेजों के राज में नील की खेती करनेवाला किसान अब नहीं है परंतु उसके परपोते आज भी उतने ही मजबूर और बेहाल हैं।





जय किसान कहना बैंकों के उस जुमले की तरह हैं जहाँ बैंकों ने एक तरफ सालों ना वापस आने वाले कर्ज को अपने बहीखातों से हटा दिया है लेकिन दूसरी तरफ कहते हैं कि कर्ज अभी भी वसूला जाएगा। किसान की जयकार भी जयकार ना होने जैसी है।





एक महान पश्चिमी दर्शनशास्त्री ने लिखा की जो नेता जनता को अपने शब्दों से ठग लेता है वो चुनाव में विजय प्राप्त करता है। लाल बहादुर शास्त्री ने "जय जवान, जय किसान" का नारा देश हित के लिए बुलंद किया था और "जय किसान, जय जय किसान" का नारा नेताओं ने निज स्वार्थहित के लिए बुलंद किया।





किसान का कर्ज के कारण आत्महत्या करना निश्चित है। किसान कर्ज के बोझ से इतना कमजोर हो गया है कि वो आत्महत्या करने से पहले यह नहीं देखता कि सरकार किस दल की है, प्रधानमंत्री कौन है? किसान को अर्जुन की तरह सिर्फ कर्ज का बोझ दिखता है।





जिस देश में असंख्य पाप करनेवाला भी मृत्यु के बाद स्वर्गवासी हो जाता है वहाँ किसान के मरने की परवाह ना आपको है और ना मुझे है। किसानों की इस अवस्था के लिए नेताओं के साथ - साथ हमारा समाज भी उतना ही दोषी है जितना दोषी सूर्य और चंद्र ग्रहण के लिए पृथ्वी को माना जाता है।


1 comment:

  1. सही कहा आपने। इस लेख को पढ़ने के बाद मन में ये सवाल भी उत्पन्न होता है कि हम आप इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या कर सकते हैं ? आजकल आप जो कुछ भी खरीदते हो उसका एक हिस्सा कृषक विकास के लिये जाता ही है। ये कैसे निश्चित हो कि उसका उपयोग सही हो। हमे दिक्कत पता होती है लेकिन दुर्भाग्य से उससे निजाद दिलाने के तरीके से हम वाकिफ नहीं होते हैं।

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