- कल रात ख़्वाबों में
- भीग गए हो तुम, अब बारिश से क्या डरना।
- सत्य बड़ा बिगड़ैल है
- एक कविता का जन्म
- चलो दीप जलाते हैं
- लगता है फिर कोई त्यौहार आया है
- अक्षरों में खोई नज्म
- मरने पर मिलेंगे
- पत्तों का खाक होना
- नज्म जगा गई
- मेरा स्टडि लैंप कल लड़ रहा था मुझसे
- कुछ पल अंधेरों का देते हैं
- आज एक नए सफर पर निकलना हैं
- मेरी प्यास बड़ी है
- चलो एक शहर बसायें
- रेल के पत्थर
- छोटी इमारत
- सतह पर पनपती काई
- बहता हुआ झरना
- तस्वीरों से भरी दीवारें
- एक बूँद की जिंदगी का सफर
- तोड़ दो बंधन
- वो रात फिर जीना है
- अम्माँ का चेहरा
- ख्वाब बूझे नही हैं पूरी तरह से
- गमों को आंगन में बिखरे देखा
- चलो खरोचकर एक लमहा निकाले
- टीवी से उधड़ते रिश्ते
- नज्मों को चराने ले जाता है
- आज अलमारी साफ करते समय
- दरख़्तों ने भी अब विद्रोह किया
- बेल का गुमान
- मेरा साया
- गर बोलियाँ एक सी होती
- लिखते गए यादों को
- जलती सिगरेट
- चलो फिर एक नया मजहब बनाए
- समंदर की कुछ बूंदों से बात की
- समय को अटका दिया
- सितारे जागते रात भर
- चलो नज्में भरकर कलाईयाँ बजाएँ
- कुछ रिश्ते जलाने पड़े
- नज्म का खयाल
- बंगालन
- लीची का पेड़
- कब्र में जिंदा हूँ
- तेरे बिन गुलजार
- मेरे प्यारे गांव
- किसान
- अम्माँ
- मौका-मौका
- क्या होगी पेड़ो की जात
- सत्य हूँ मैं
- वो जो एस्ट्रोनॅाट चांद से आए हैं
- क्या पाया तुमने
- वो रास्ता - मां
- असत्य को कर दे सत्य
- वीर सैनिक
- हरा रंग
- पापा की अंग्रेजी शराब
- बाज़ार चहकता था हर शाम
- चूहा
- चिड़ियां
- नए युग की मधुशाला
- बारिस को पैगाम
- सुना है नई सुबह हुई है आज
- समंदर से आप ने क्या सीखा है
- सन्नाटा और अँधेरा
- कल-कल करती नदी बह रही है
- मेरा हमदम
- बादल आज कई दिनों के बाद रोया
- पथ
- आत्मा की तलाश
आपका प्यारा
काव्यका का राहगीर
No comments:
Post a Comment