पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 

२ GB डेटा की खपत को पूरा करने के चक्कर में हॉस्पिटल में एडमिट हुआ स्मार्ट फ़ोन यूजर

पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 
मुंबई में रहने वाले प्रेम कुमार को मानसिक रोग के डॉक्टर ने पागल करार दे दिया है और एक महीने के लिए मोबाइल स्क्रीन टाइम रेहबलिटेशन सेण्टर में भेज दिया है। प्रेम कुमार किसी समय अपने इलाके के शतरंज के एक सुप्रसिद्ध खिलाड़ी थे और बताया जाता है की उन्हें मुंबई की टेलीफोन डिरेक्टरी  और सौ कौरव भाईयों के नाम मुँह जबानी याद थी।
प्रेम कुमार के साथ सब कुछ सही चल रहा था कि एक दिन उन्होंने स्मार्ट फ़ोन खरीद लिया। रोज मिलनेवाले २ gb डेटापैक को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने परिवार और दोस्तों से मिलना छोड़ दिया। वॉक करना उनके लिए टेढ़ी खीर हो गया और पेड़ पर मटरगस्ती करती गिलहरी तो उन्होंने उस दिन देखी ही नहीं जिस दिन उन्हें मालूम पड़ा की नेटफ्लिक्स का मोबाइल सब्सक्रिप्शन सस्ता है। 
प्रेम कुमार का जीवन व्हाट्सप्प, नेटफ्लिक्स और रील्स के स्क्रीन टाइम में कटने लगा और यदि कुछ समय बच गया तो टॉयलेट की सीट पर बैठकर उसे सबवे सर्फर खेलने में लगा दिया। बस यहीं से आरम्भ हुआ प्रेम कुमार के स्मार्ट मोबाइल को देखकर डम्ब बनने का प्रोसेस। धीरे - धीरे उनकी यादास्त कम होने लगी और एक वो दिन भी आया जब उन्हें अपने प्यारे दोस्त माचो मुफ्तखोर का नंबर भी मोबाइल की कांटेक्ट लिस्ट में जाकर डायल करना पड़ा। 
प्रेम कुमार ने सोचा समय काटने के लिए मोबाइल स्क्रीन पर आँखें गड़ाकर बैठे हैं लेकिन हो रहा था उल्टा वो कामचोरी करके और समय निकाल - निकालकर सोशल मीडिया पर क्रांति ला रहें थें। प्रेम कुमार लेकिन होशियार थे, आँखों को कष्ट ना हो इसलिए उन्होंने ब्लू लेंस वाला चश्मा भी बनवा लिया। मोबाइल का प्रयोग धीरे - धीरे इतना बढ़ गया कि बीबी और मोबाइल में से यदि चुनना हो तो प्रेम कुमार मोबाइल का चुनाव करने के लिए तैयार हो गए थे। कभी चिड़िया की चहक से उठने वाले प्रेम कुमार पांडे अब इंस्टाग्राम के नोटिफिकेशन से उठ रहे थे।
एक दिन अचानक से प्रेम कुमार ने गरम चाय और मोबाइल के अंतर को न समझते हुए, चाय का कप कान पर लगा लिया, थोड़ी चाय कान में और थोड़ी चाय कँधे को जलाती हुई रील की तरह आगे बढ़ी। जब जले हुए भागों पर कोलगेट का लेप लगाने पर भी ठंडक नहीं हुई, तब जाकर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा और फिर वही एक मानसिक रोगियों के डॉक्टर ने प्रेम कुमार को डम्ब घोषित कर दिया। 
डॉक्टर ने प्रेम कुमार की रिपोर्ट में बताया कि उन्हें स्मार्ट फ़ोन से जितना हो सके उतना दूर रखना होगा, अन्यथा उनकी हालत दिन - ब - दिन खराब होती जाएगी और धीरे - धीरे वो अपना नाम भी स्मार्ट फ़ोन से पूछकर बताएंगे। डॉक्टर साहब ने बताया की आज कल स्मार्ट फ़ोन के उपयोग से डंब बननेवाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और सरकार को लोगों की भलाई के लिए जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए।

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