पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 

#व्यंग्य : कैसे पैसेवाला समाज बनाता है घोटाले का दावेदार ?

पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 

चारो तरफ त्राहि - त्राहि मची थी। मुफ्तखोरों को मुफ्त शराब पिलानेवाला दिवालिएपन की कगार पे खड़ा था। उसका संसद जाने का रास्ता लगभग बंद हो चुका था इसलिए जेल में जाना या फिर इंग्लैंड फरार हो जाना अंतिम रास्ता था। सभी मुफ्तखोरों को इस बात का बुरा लग रहा था। इसलिए नहीं कि वो व्यक्ति दिवालियेपन की कगार पे खड़ा था, बुरा तो उन्हें इस बात का लग रहा था कि उसके दिवालिया होने के बाद दूर - दूर तक कोई महंगी शराब मुफ्त पिलानेवाला नहीं दिख रहा था और गर्मी में स्विट्ज़रलैंड अब अपने पैसे से जाना पड़ जाएगा। सरकारी पैसे को हड़पने की युक्ति कई लोगों के पास थी लेकिन उनमें से कोई भी जेल जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। 

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