पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 

#व्यंग्य : स्मृति ईरानी की अमेठी में हार की असली वजह मिल गई - सुरसा नाली को पक्की कराने के कारण गुस्सा हो गए अमेठी वासी

पुरानीबस्ती पर लिखे गए सभी व्यंग्य, लेखक की कल्पना है. इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति अथवा प्रभु नाम के साथ समानता, मात्र एक संयोग है। हमें क्षमा करें। _/\_ जय श्री राम 

अमेठी में जब राहुल गांधी दौरे पर जाते थे, तो उनका पीकदान पकड़कर घूमनेवाले किशोरी लाल अब लोकसभा के सांसद हैं। किशोरी लाल का जलवा अब ऐसा है कि बस समझो जैसा माइकल जैक्सन का हुआ करता था, बोले तो "सुपरस्टार।" कुछ मित्रों का कहना है कि किशोरी लाल जैसा सेवक आदमी ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेगा। मतलब बता रहें कि जैसी सेवा हनुमान जी ने राम जी की करी थी, वैसी ही सेवा किशोरी लाल ने करो है, किसकी? इस सवाल का उत्तर फिर कभी।

पुरानीबस्ती के खोजी पत्रकार बखानू बाबा निकल गए, ईरानी जी के हार का कारण ढूँढ़ने अमेठी की पगडंडियों और उन्हीं खडंजों पर जो १९४७ में बनी चकरोट के बाद २०१९ में जाकर ईंटों में जिन्दा हुई थी, जो सत्य सामने निकलकर आया, उसे जानकर आप अपने गाल पर दो थप्पड़ मार लेंगे। ईरानी जी भोले दिल की थी, एक दिन अमेठी के गांवों में दौरा करते हुए हुए उन्हें एक कच्ची नाली दिखी, जिसमें उनके साड़ी का पल्लू गिर गया, बस क्या था अमेठी में कई हजार सालों से बह रही इस कच्ची नाली को ईरानी जी ने पक्का करवा दिया और ऊपर से उसके ऊपर आरसीसी कर दी। बस यही नाली है जो उन्हें ले डूबी।

बखानू बाबा की रिपोर्ट के अनुसार, जिस नाली को ईरानी जी ने पक्की करवाया, वो कोई ऐसी वैसी नाली नहीं है। कई हजारों सालों से अमेठी में बह रही इस नाली को "सुरसा नाली" के नाम से जाना जाता है। नाली का प्रताप ऐसा था कि हर आने जाने वाले का इस नाली में गिरना तय था। बहादुर शाह जफर, लॉर्ड माउंटबेटन और नेहरू तक इस नाली में गिरे थे और बकायदा उनकी फोटो भी खींची गई। एनेजेलिना जॉली और ब्रैड पिट जैसे स्टार भी इस नाली में गिर चुके हैं और बताओ विकास के नाम पर ईरानी जी ने सुरसा नाली को पक्का करवा दिया। जिससे अमेठी का हर तबका नाराज हो गया।

कहतें हैं यह नाली उसी सुरसा की किसी छोटी बहन का अवतार थी, जिसने समुद्र लाँघते समय हनुमान जी को रोक लिया था और कहा था कि मेरा आहार बन। लेकिन हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और विवेक से सुरसा को मात दी और तब सुरसा ने हनुमान जी कहा कि देवताओं ने उन्हें हनुमान जी के परीक्षा लेने के लिए भेजा था, जिसमें हनुमान जी एकदम NEET जैसी मेरिट में आ गए। और कलयुग में वही परीक्षा लेने के लिए सुरसा नाली सदियों से बह रही थी और सबसे पहले परीक्षार्थी थी स्मृति ईरानी।

बखानू बाबा की तूफानी रिपोर्ट के फैक्ट्स आगे पढ़कर आप चौंक जायेंगे।

एक वृद्ध व्यक्ति जिन्होंने स्मृति ईरानी के खिलाफ वोट दिया, उन्होंने बखानू बाबा को बताया कि भाजपा ने विकास के नामपर उनकी विरासत को मिटा दिया। इसी नाली में एकबार उनके परदादा गिरे थे, जिनके घर के पंडोह का पानी इस नाली में बहता था, उनके घर के साथ मार हुई। एक सप्ताह मारा मारी होने के बाद दिल्ली से सीआरएफपी की कंपनी आई और न्यायालय में आज तक मुकदमा चल रहा है लेकिन ईरानी जी ने नाली को ही मिटा दिया।

नाली के पक्की होने से पुलिस और बकील लोग भी नाराज हुआ। नाली कच्ची थी, लोग आते - जाते फिसलता था कभी, बाभन - दलित पर फिसल गया, कभी ठाकुर - मुसलमान पर फिसल गया। लड़ाई होता था, सिर फुट्टवल होता था। पुलिस केस बनता था, वकील लोग को काम मिलता था लेकिन भाजपा को यह सब कहाँ बर्दास्त होता। नाली पक्की करवा दिए, बस क्या था बकील और पुलिस भी अपने परिवार के साथ विपक्ष को वोट दे आया। एक बकील साहब तो सुरसा नाली के केस में स्पेशलाइज्ड किए थें, परिवार के साथ यूरोप टूर करनेवाले थे लेकिन सब धरा का धरा रह गया।

नाली पक्की होने से सबसे बड़ा नुकसान जुम्मन हाड वैद्य जी का हुआ। लोग - बाग नाली में सरकता था, हड्डी टूटता था, तो ठीक करवाने जुम्मन हाड वैद्य के यहाँ ही आना होता था। जैसे यह संजोग ही होता है कि जहाँ आपकी गाड़ी का टायर पंचर हुआ, वहीं से कुछ मीटर पर जुमरती की पंचर की दुकान मिल जाती थी, ठीक वैसे जुम्मन मियां की हाड वैद्य की दुकान थी। नाली में सरके, हड्डी खिसकी और फिर जुम्मन मियां की कमाई। कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि जुम्मन मियां पिछले कई सालों में सपा के शासन काल में धीरे - धीरे खोदकर नाली की चौड़ाई बढ़ाते जा रहें थे। जुम्मन मियां का कहना है कि वोट तो वो भाजपा को वैसे भी नहीं देते लेकिन ईरानी जी ने उन्हें वोट ना देने का साफ - साफ कारण दे दिया।

अब बात रही अमेठी के मनचलों की, उन्होंने तो आंदोलन तक कर दिया था कि नाली पक्की हुई तो ईरानी जी के ऑफिस के बाहर आत्मदाह किया जाएगा, वो भी किलो के भाव में। जब बखानू बाबा ने मनचलों से पूछा कि भाई पक्की नाली से भला आपको क्या ऐतराज, तो का मनचले ने कहा :

वो नाली बहती बेमौसम की बरसातों में
वो बड़ी अदा से वहां से गुजरती थी
कभी वो सरक जाती थी तो पल्लू भी सरकता था
लेकिन पक्की नाली बन जाने से
महीनों अब मुलाक़ातें नहीं होतीं
जो शामें उन की सोहबत में कटा करती थीं,
अब अक्सर
गुज़र जाती हैं पक्की नाली के आरआरसी के चक्कर में,
बड़ी बेचैन रहती हैं मोहत्रमाएं सारी
उन्हें अब नींद में सरकने की आदत हो गई है
बड़ी हसरत से तकती हैं
वो जो गंदी नाली के किनारे की ठंडक पर उड़ती थी बर्रे
और कभी कभी काट लेती थी,
कि जिन के दर्द में कोई गोली इंजेक्शन काम नहीं करता था
वो बर्रे अब नज़र आती नहीं पक्की नाली के ऊपर में
जो रिश्ते वो सुनाती थीं
वो सारे उधड़े उधड़े हैं
कोई सफ़्हा पलटता हूँ तो इक सिसकी निकलती है
नाली के कीचड़ की स्याही अब हलकी हो गई है,
बिना नाली के कीचड़ के कपड़े अब सर्फ एक्सेल में नहीं धुलते,
हड्डी में चमक आती तो जो हर बार नाली कूद के पार करने पर,
अब पक्की नाली से गुजरने पर बस वो मजा नहीं आता
बहुत कुछ तह-ब-तह खुलता चला जाता है पर्दे पर
नाली से जो ज़ाती राब्ता था कट गया है
कभी वो जंप करती थी,
कभी मैं जंप करता था,
कभी वो फिसल कर गिरती थी मेरी बाहों में
कभी सीने पे रख के लेट जाते थे
कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रेहल की सूरत बना कर
नीम सज्दे करते थे छूते थे जबीं से
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
मगर वो जो कच्ची नाली में मिला करते थे उनकी पैजनी के घुंघरू
नाली से कूदने, गिरने, फिसलने के बहाने जो रिश्ते बनते थे
उन का क्या होगा
वो शायद अब नहीं होंगे!

इसी तरह अमेठी में कई लोग सुरसा नाली के पक्की होने से नाराज हुए और ईरानी जी के खिलाफ वोट दे दिया। अब सुनने में यह भी आ रहा है कि किशोरी लाल जी उस नाली को पुनः तुड़वाकर कच्ची नाली बनवाएंगे और उसे इतना चौड़ा करवा देंगे कि आने वाली सात पुस्तें भी उस नाली के विकास के बारे में सोच ना सकें।

Comments