badge पुरानीबस्ती : लघुकथा / कहानी
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

लघुकथा / कहानी

लघुथा का खयाल ​

जब कभी कहानियाँ और कविताओ की याद आती है तो मै दूर अपनी यादों की पुरानी बस्ती में चला जाता हूँ, लघुथा, पुरानी बस्ती का एक अहम हिस्सा है बिना इसके पुरानी बस्ती की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यहाँ सब कुछ अलग है , शोर-गूल से दूर यहाँ आपको हर व्यक्ति प्यार से बात करते हुए मिल जाएगा।

बचपन के दिनों की भूली-बिसरी यादों से एक कहानियों का संग्रह तैयार हुआ और उसे मैंने बहुत सोच विचार के बाद लघुथा (लघुकथा) का नाम दे दिया। लघुथा की कहानियाँ काल्पनिकता के परे है। आप ध्यान से हर एक किरदार को पढ़ना उसमे आपको आपका बिता हुआ कल दिखाई देगा।

मेरी पुरानी बस्ती में आप सभी का स्वागत है। उम्मीद करता हूँ की यहाँ बिताया हर एक पल आपकी जिंदगी में नई खुशी लेकर आएगा।

आपका प्यारा
पुरानी बस्ती का राहगीर

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