badge पुरानीबस्ती : #ब्वॅाय_फ्रॅाम_बॅाम्बे - 12 #ड्रामा
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Wednesday, October 14, 2015

#ब्वॅाय_फ्रॅाम_बॅाम्बे - 12 #ड्रामा





नामदेव के जिन्दा रहने पर उसके बेटे राघव ने कभी नामदेव के धंधे में कोई रुचि नही दिखाई थी लेकिन उसके मरने के बाद वो नामदेव के पूरे साम्राज्य का मालिक बन बैठा। कबीर नामदेव के बेटे से हमेशा से नफरत करता था। कबीर का मानना था कि राघव के कारण नामदेव को हमेशा धंधे मे नुकसान उठाना पड़ता था।



नामदेव को कई बार करोड़ों रुपए राघव के बलात्कार और मारपीट के अपराधों को छिपाने के लिए देना पड़ता था। धंधे से भी कई बार राघव नौकरों को धमकाकर रुपये उठाकर चला जाता था। कबीर भलीभाँति जानता था कि राघव के हाथ में धंधे की बागडोर आने से इसका सत्यानाश होना तय था और ऊपर से राजनीति में राघव के शून्य प्रतिशत ज्ञान से आगे चलकर परेशानियां भी बढ़नी तय थी।

नामदेव के जिंदा रहने पर उसने कुछ बेनामी जगह खरीदकर रखी थी जिसके बारे में नामदेव और कबीर के अलावा किसी को नही पता था। नामदेव की मौत के बाद अब उन जमीनों की जानकारी सिर्फ कबीर को थी। राघव ने काम संभालते ही सबसे पहले कबीर को काम पर से निकाल दिया।

५ साल बाद

कबीर कंसट्रक्संस अब राघव के कंसट्रक्सन से बड़ा नाम था। कबीर अब जुहू इलाके में खुद के बंगले में रहता था। कबीर ने इतना बड़ा नाम बनाने के लिए वो सब काम किया जो नामदेव करता था। लोगों को धमकाना, मारना-पिटना, तीन कत्ल के मामलों में भी उसका नाम पुलिस के रिकार्ड में दर्ज हो चुका था। 

कबीर के घर पर एक २० साल की लड़की काम करती थी। उसने भी पुलिस में कबीर के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवाया था। इस बात की जानकारी बब्बी को भी थी और उसके मन में इस बात के लिए कबीर के प्रति बहुत क्रोध भरा था । लेकिन कुछ दिनों में उस लड़की ने पुलिस से मामला वापस ले लिया था। कबीर ने उसे मालाड में एक बहुत बड़ा फ्लैट दिया और साथ में हर महीने ४०हजार रुपये देने की बात कही और कबीर जब चाहे बेरोकटोक उसके फ्लैट पर आ सकता था। लड़की भी गरीब थी और कबीर के खिलाफ कानून से न्याय मिलना भी आसान नहीं था।

वही धीरेधीरे राघव को कुछ ऐसे पेपर मिले जिससे उसे इस बात की मालुमात हो गई कि कबीर ने उसकी जमीन बेचकर ये सारा रुतबा कमाया है लेकिन वो कानूनी रूप से कबीर पर कोई कार्यवाही नही कर सकता था। राघव ने एक महीनें में कबीर के ऊपर तीन हमले करवाए लेकिन वो तीनों हमलों में बच गया।

राघव एक दिन अपने मलाड वाले फ्लैट पर जा रहा था कि उसने राघव की गाड़ी उसकी बिल्डिंग से बाहर निकलते देखा। फ्लैट पर पहुंचने पर मोनिका आज रोज से ज्यादा मेहरबान दिख रही थी। कबीर को राघव को देखकर कुछ शक हो गया था और मोनिका के अचानक से बदले व्यवहार ने उसके शक को यकीने में बदल दिया। मोनिका ने जब राघव को शराब पिलाने की कोशिश की तो उसने वापस मोनिका को उस गिलास से शराब पिलाने की कोशिश की तो मोनिका ने शराब पी ली।

कुछ घंटों के बाद जब कबीर मोनिका के साथ बिना कपड़ों के लिपटा पड़ा था तभी उसका फोन बजा और अगली तरफ की आवाज ने कबीर को मालाड के फ्लैट से जल्दी निकल जाने के लिए कहा और उसे ये भी बताया कि उसे मारने के षड्यंत्र में उसकी रखैल मोनिका भी शामिल है। कबीर ने फोन रखा और उसके बाद बिना कुछ बोले मोनिका का गला दबाकर उसे जान से मार दिया।

कबीर को अब पता था कि जब तक राघव जिंदा है उसकी जान को खतरा है इसलिए उसने राघव को जानसे मारने का प्लान बनाया। राघव हमेशा शनिवार को किसी से मिलने अकेले जाता था और दूसरे दिन रविवार को वापस आता था। कबीर ने इस बार राघव का पीछा किया और मुंबई से दूर ठाणे के इलाके में कबीर को एक बंगले के अंदर घुसते देखा। कबीर ने जब खिड़की में से झाँका तो अंदर एक जानी पहचानी औरत एक छोटे लड़के को लेकर बैठी थी।कबीर ने दिमाग पर जोर दिया तो उसे याद आया कि ये वही बार गर्ल है जो उसके मोहल्ले में आती थी।

कबीर ने मौके का फायदा उठाते हुए खिड़की से गोलियाँ चलाना शुरु कर दिया देखते ही देखते तीन लाशे जमीन पर पड़ी थी। राघव के मरने की खबर आग की तरह शहर में फैल गई। कबीर ने राघव के साथ जिस औरत और बच्चे को मारा था वो दुबई के भाई की रखैल और बेटा थे। कबीर के लिए अब सिर छिपाने की जगह नही बची थी। कबीर जब घरपर पहुंचा तो उसने बब्बी को जल्दी से कुछ सामान पैक करने के लिए कहा। बब्बी भी कबीर के हर अपराध को जानती थी। कबीर के पिताजी और माताजी ने नैतिकता के लिए अपनी जान दे दी, कबीर स्वयं दिन रात उस नैतिकता के खिलाफ काम कर रहा है। 

कबीर को आजाद करने का मन बब्बी ने बना लिया था। कबीर जब सामान उठाकर बब्बी के कमरे में दाखिल हुआ तो उसे देखकर वो उसकी गोद में सिर रखकर अपने अपराधों को कबूल करने लगा और उसके बाद बब्बी ने बगल में रखी हुई पिस्तोल को उठाकर कबीर के माथे पर तान दिया। कबीर को लगा बब्बी बचपना कर रही है कि तभी तीन गोलियाँ कबीर के भेजे में उतर चुकी थी। कबीर अब अपने सारे अपराधों से आजाद था।

बॅाम्बे की गलियों से मुंबई की ऊंची इमारतो का मालिक अब इस दुनिया से जा चुका था।



इस कहानी में कुल १२ भाग है और हर गुरुवार को हम नए भाग के साथ मिलेंगे . आप इस कहानी पे हमें अपनी टिपण्णी जरूर लिखें.



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