वो नमाजी जो पांच वक़्त की नमाज पढ़ता था,
कल दहशतगर्दी के इल्जाम में पकड़ा गया,
चढ़ाकर टखनों तक पैजामे जो इस्लाम कहता था,
सुना है बेआबरु कर रहा था कमसिन परियों को,
दाढ़ी बढ़ाकर वो दीन बनता फिरता ता था,
अंधेरों में मय उठाकर नाचता बेहयाओ के साथ था,
जिसने कलमा पढ़ा मजहब के नाम पर,
इंसानियत को बाजार में नीलाम कर रहा था,
रोजा खेलता था वो नमाजी बेगुनाहों के खून से,
क्योंकि दिन में वो लोगों का कत्लेआम करता था,
है काफ़िर कौन? अब कह पाना मुश्किल था,
नमाजी या फिर काफिर जो प्यासों को पानी पिलाता था।
वो नमाजी जो पांच वक़्त की नमाज पढ़ता था,
कल दहशतगर्दी के इल्जाम में पकड़ा गया,
No comments:
Post a Comment