badge पुरानीबस्ती : #हास्य - गांधी जी का हिटलर को पत्र
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Sunday, January 22, 2017

#हास्य - गांधी जी का हिटलर को पत्र





15 अगस्त 1939


एडॅाल्फ हिटलर, 

बर्लिन, जर्मनी। 

पिन - 890567


प्रिय मित्र हिटलर,


मेरे कुछ सहयोगियों ने बताया कि आप सुभाष चंद्र बोस की भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में मदद कर रहें हैं । आपकी मदद से सुभाष भारत में अंग्रेजी सेना के साथ युद्ध करके भारत को स्वाधीन बनाना चाहता है।


मित्र हिटलर यदि तुम्हें लगता है कि मैं और कांग्रेस इतने साल से यहाँ घास छिल रहें हैं तो तुम्हारा यह सोचना गलत है। हम भी भारत की आजादी के लिए प्रयत्न कर रहें हैं और भारत को आजाद कराकर रहेंगे।


कुछ साल  पहले हिंसक संघर्ष में भाग लेने वाले भगत सिंह को अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया। मैं चाहता तो उसे बचा सकता था परंतु उसे बचाने पर मुझे महात्मा कहने वाले मेरा अनुसरण करने वाले भगत सिंह का अनुसरण करना आरंभ कर सकते थे, इसलिए भगत सिंह को बचाना मैंने उचित नहीं समझा।


मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप सुभाष चंद्र बोस को किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाएंगे। सुभाष को उसके हाल पर भटकने के लिए छोड़ दीजिए। मैं नहीं चाहता कि भारत की स्वतंत्रता का श्रेय मेरे अलावा किसी दूसरे व्यक्ति को भी मिलें।


आपका प्यार मित्र,

मोहनदास करमचंद गांधी,

मुंबई, भारत।


1 comment:

  1. बहुत ही अच्छा article है। .... Thanks for sharing this!! :)

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