कुछ दिनों पहले मैं एक फिल्म देख रहा था। उस फिल्म के एक गरीब परिवार रहता है और उनके पास खाना खाने के लिए पैसे नहीं रहते। परिवार का एक लड़का खाना चुराने के लिए एक दुकान पर जाता है परन्तु खाना चुराते हुए दुकानदार उसे पकड़ लेता है। दुकानदार उस लड़के को पुलिस के हवाले कर देता है और पुलिस वाला उस बच्चे पर दया दिखाते हुए उसे कुछ पैसे देकर छोड़ देता और फिर २० साल के बाद वही लड़का एक सफल पुलिसवाला बनता है। ये तो फ़िल्मी कहानी का एक भाग है लेकिन बच्चन साहब की फिल्मो में बच्चन साहब खाना चुरा कर भागते थे और भागते भागते एक बहुत बड़े चोर बन जाते थे।
फिल्मी कहानी प्रायः असल जिंदगी से प्रेरित होती है और असल जिंदगी में भी भुखमरी हमारे देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। आज भी ३०% से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे है और आज भी कई बच्चे दो टाइम के खाने के लिए बिलखते है। शिक्षा समाज को आगे ले जाने में अहम योगदान करती है परन्तु खली पेट कोई भी बच्चा पढ़ नहीं सकता है और आप नहीं चाहते की फिर एक लड़का खाना चुराते हुए एक चोर बने इसलिए हमें साथ आकर हमारे समाज से भुखमरी को मिटाना होगा। हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझकर अपना योगदान अपने देश के लिए देना होगा।
गरीब बच्चो को भुखमरी से बचाने के लिए और उन्हें स्कूल में आकर पढने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। हमें सिर्फ इस बात का ख्याल रखना है की हमारे आस पास के सरकारी कार्यालय उन योजनाओं को सही तरीके से लागु कर गरीब बच्चो तक उनके हिस्से का अनाज पंहुचा रहे है। और यदि आप खुद सरकारी विभाग में है तो अपने मित्रो को ये समझाए की क्यों बच्चो का खाना और पढ़ना दोनों ही समजा कल्याण और देश हित में होगा। आप अपने आस पास के किसी NGO में श्रम दान या कुछ पैसे भी दान कर सकते है जिससे गरीब बच्चो को मदत मिल सके।
मेरे इस ब्लॉग को लिखने के बाद ब्लॉग अड्डा एक बच्चे को एक साल का भोजन मुफ्त देगा। यदि आप कुछ बच्चो की मदत करना चाहते है तो और लोगो के साथ इस ब्लॉग को शेयर करे और उन्हें ब्लॉग लिखने के लिए प्रेरित करे। यदि हर बच्चा भर पता खाना खाकर रोज रात को सोएगा तो सुबह अपनी पढाई से एक बुलंद भारत का निर्माण करेगा जो आपको मेरे और हमारी आने वाली पीढ़ी को सही राह पर ले जाएगा।
जय हिन्द,
मैंने अपने कॉलेज आखरी साल की स्कालरशिप जुगाड़ कर के आधी अनाथालय में दी भी थी.. फिर नौकरी में इतना होता ही नहीं था की किसी को दे भी सकूँ.. और अभी छोड़ रखी है.. लेकिन मेरा प्लान तो यही है की लायक हुआ तो अनाथालय को ही दूंगा अपनी मोस्टली salary . . बस अपने खाने का जुगाड़ रहे, बाकि दुनिया खुश रहे उसी में हम खुश हैं. फिर से वही कोशिश करेंगे जल्दी ही
ReplyDeleteबहुत खूब डीके, यदि हर कोई अपने तरफ से समाज के लिए प्रयत्न करे तो समाज का भला होते रहेगा
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