badge पुरानीबस्ती : #कविता - असत्य को कर दे सत्य
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Sunday, December 7, 2014

#कविता - असत्य को कर दे सत्य




चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।

अधर्म सर उठा रहा,
मानव है घबरा रहा,



हिंसा से कतरा रहा,

किसने कहा अहिंसा धर्म हैं,




चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।




वो मां का दिल रोता है
बच्चा भूखे पेट सोता है
बहन लाज बचा रही है



​धरा त्राहि त्राहि चिल्ला रही,


चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,


लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।








पंगू जनतंत्र अब दिखता है


कठपुतली सा ​नाचा कराता है

मानव का सम्मान कहा
मानवता का अपमान यहा



चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।




गर्त में तू है जा रहा
सत्य से घबरा रहा
गर्त से निकलने का प्रयास कर
मानवता का उद्धार कर,



चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।




मैं ने कब अधर्म का पाठ पढ़ाया,
कब तक अपने मन को


अहिंसा​अधर्म है सिखाएगा ,

ए पाप है बढ़ रहा
दिन रात बढ़ता जाएगा
तेरे डर से है ए पल रहा



चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।




हिंसा और अधर्म एक नही,
जा गीता का फिर से पाठ कर,
पाप सहना पाप करने से बड़ा,
अंधियारा मिटा,
अन्यथा स्वयं मिट जाएगा,



चल उठ खड़ा हो,


उठा शस्त्र,
पापियों 
​का नरसंहार कर,

लहू कलंक का बहा,
असत्य को कर दे सत्य ।














इस कविता पर अपनी टिप्पणी हमे देना ना भूलें। अगले सोमवार/गुरुवार  फिर मिलेंगे एक नए व्यंग्य/कविता के साथ।




24 comments:

  1. बहुत बढ़िया, पढ़कर नसों में उबाल आ गया ~ एक टवीट्_______

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद, इस उबाल को बरक़रार रक्खे और देश सेवा में लगाये

      Delete
  2. बन्दूक उठाने वाली कविता है ये

    ReplyDelete
    Replies
    1. तो अधर्म के खिलाफ उठा लीजिये बन्दुक

      Delete
  3. वीर रस!!!! क्या बात क्या बात क्या बात
    मज़ा ही आ गया दादा
    #बुल्ला

    ReplyDelete
  4. कहीं ना कहीं हम सबके हृदय में ये सब बातें आती हैं जब कहीं अन्याय,असत्य,पाप, हिंसा आदि देखते हैं...काश ये भाव यथार्थ रूप में हर व्यक्ति के हृदय में परिलक्षित हो...!!शुभकामनायें...!!!
    --ज्योत्सना खत्री

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुन्दर कविता- आभार। @Gapagapdotcom

    ReplyDelete
  6. क्रन्तिकारी कविता

    ReplyDelete
  7. उत्तम रचना। आज जब #ISIS जैसे संगठन सर उठा रहें हैं... यह एक अवाहन है:
    चल उठ खड़ा हो,
    उठा शस्त्र,
    पापियों ​का नरसंहार कर!
    ... उम्मीद है और पढ़ने को मिलेगा!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जरूर साहब और बेहतऱीन लिखने की कोशिश होगी

      Delete
  8. हर युग के लिये जीवंत हैं इस कविता के भाव! बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  9. अति उत्तम रचना । रक्त मे विद्युत का संचार करने वाली ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद राहुल, इस विदुयत संचार को देश के विकास में लगा दो

      Delete
  10. अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

    ReplyDelete
  11. इस कविता को रिकार्ड करना चाहती हूँ, आपका मेल आई डी चाहिए ...

    ReplyDelete

Tricks and Tips