मेरा नाम है छोटू, मैं आपको अक्सर चाय की दुकान पर लोगो को चाय पिलाता हुआ दिख जाऊंगा। मेरी चाय की दुकान के बाजु में एक बड़ी कंपनी है जिसमे मई सालो से चाय पिला रहा हूँ। बात २०१२ की है पिछले कई दिनों से कंपनी में अफरा तफरी का माहोल था। हर कोई चेहरे पर एक दुःख लेकर घूम रहा था। थोड़ी जांच पड़ताल करने पर पता चला की कंपनी पिछले कई सालो से घाटे में चल रही थी तो इसलिए इन्वेस्टमेंट करनेवालो ने कंपनी बंद करने का निर्णय ले लिया है। कंपनी में हर कोई नौकरी की तलशा में था।
मैं इस कंपनी के कई लोगो को काफी नजदीक से जानता था। चाय पिलाते पिलाते अक्सर मेरे जैसे कई छोटू आप लोगो के दिल में बैठ जाते है और आप फिर ये सोचते है कि काश छोटू चाय नहीं बेचता और पढ़ाई - लिखाई करके साहब बन जाता परंतु भारत जैसे देश में जहाँ भुखमरी हर कदम कदम पर है ये संभव नहीं है। मेरे पहचान की एक दूसरी कंपनी एक मार्केटिंग एक्सीक्यूटिव की जगह खली थी तो मैंने अपने एक मित्र शामक दीवानजी को उस नौकरी के इंटरव्यू की लिए सेट कर दिया। अधिक मत सोचो छोटू ऐसे कई काम कर सकता है।
दीवानजी के पास एक बड़ी डिग्री थी। कद काठी में थोड़े नाटे थे लेकिन MBA वाला ज्ञान देने में एक दम आगे। दीवानजी के मुताबिक उनका इंटरव्यू बहुत ही बढ़िया गया था लेकिन कुछ सप्ताह बीतने के बाद भी उन्हें नौकरी के लिए फोन नहीं आया। मैंने अपने सोर्स लगाकर पता किया टी ज्ञात हुआ की दीवानजी हमेशा की तरह उस दिन भी बिना शेव (दाढ़ी) किया इंटरव्यू के लिए चले गए थे। कंपनी के MD को दीवानजी की बिना दाढ़ी वाली शक्ल देखकर लगा की वो जॉब के लिए ज्यादा सीरियस नहीं है और यही उनको रिजेक्ट कर दिया गया।
इसलिए आगे से आप लोग जब भी इंटरव्यू के लिए जाये जिलेट से दाढ़ी बनाना न भूले।
बढिया, लिखे हैं पाजी। वैसे मैं तो सेवन ओ क्लॉक से दाढ़ी बनाता हूं।
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जॉब लगेगी तो जरूर जाएंगे :)
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