पिछले कुछ सालो से पूरे विश्व में धर्म और जाति-पात के नाम पर हिंसा बढ़ रही है। संप्रदाय और ईश्वर के नाम पर लोगो का कत्ले आम भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए अब किसी ऐसे वैज्ञानिक की खोज में हूँ जो मुझे यादाश्त मिटाने का यंत्र बनाकर दे। मैं उस यंत्र से सभी के धर्म की व्याख्या मिटाकर सिर्फ मानवता धर्म की
व्याख्या लिख दूंगा।
एक दिन मैंने देखा की मुझे संसार-पुनर्निर्माण का कार्य दे दिया गया है। मैंने सबसे पहले सबके दिमाग से धर्म और जाति-पाति का अंतर मिटाकर मानवता धर्म लिख दिया। सोचो चारो तरफ सिर्फ मानवता धर्म होगा तो हर तरफ प्यार ही प्यार पनपने लगेगा। मानवता धर्म के निर्माण के बाद मै सरहदों का भेदभाव मिटा दूंगा। सरहदे नहीं होंगी तो आप चारो तरफ बिना किसी के रोके संसार के हर कोने में जाकर घूम सकेंगे। दुनियाँ देखने के लिए किसी सरकारी दस्तावेज-पत्र की जरूरत नहीं होगी। धर्म और सरहद का भेद मिटने के बाद मै चारो तरफ सिर्फ एक ही भाषा का निर्माण करूँगा क्योंकि धर्म,सरहद के बाद भाषा है जो मानव धर्म के बीच दरार डालती है।
कितना सुहाना सा ख्वाब है ये,"आप यूरोप के किसी जंगल में वहा के रहने वालो से बाते कर रहे है। आप अपने देश के बारे में बता रहे है और यूरोप के लोग आपको उनके यहाँ के रहन सहन को बता रहे है। भाषा का ना होना भी जायज है या फिर हो तो एक सी भाषा पूरे समाज की हो जिससे आपस में बटने की संभावना काम हो जाये। जर्मनी के किसी इलाके में आप बिना दुभाषिया के वहा के स्थानिक नागरिक से वहा की कला संस्कृति को जाने जो लगभग लगभग एक सी होगी क्योंकि धर्म,सरहद और भाषा के एक होने पर संस्कृति सिर्फ भौगौलिक रूप से अलग होगी, जिसे सोचने और समझने में आपको आनंद आयेगा।
जब चारो तरफ धर्म,सरहद और भाषा का भेदभाव नहीं होगा तो फिर एक ऐसा समाज बनाऊंगा जिसमे कुछ कवितायेँ होंगी जो गुलजार के मीठी आवाज बनकर आपके कानो में प्यार घोलती रहेगी। कुछ कहानिया लिखूंगा जो आपको प्यार के असल मायने सिखाये। मेरी उस दुनियाँ में हीर-राँझा से, लैला-मजनू से, शीरी-फरहाद से और रोमियो-जूलिएट से मिल जाएगी। कोई प्यार में मरेगा नहीं और सभी को जीते जी प्यार मिल जायेगा। मेरा दुनियाँ का निर्माण पूरा होता उससे पहले मेरा सपना टूट गया। बस अब जिंदगी में उस सपने को किसी दिन सच करने की ख्वाहिश है।
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