मैं पिछले २५ साल से मुंबई में रह रहा था। माटूंगा स्टेशन के आगे एक छोटी से चाल थी। जिसमे मैं अपने पिताजी और माँ के साथ रहता था। चाल में रहने का अपना मजा है और अपनी सजा भी। हर कोई अगल बगल वाला सुख-दुःख में आपके साथ आपके एक परिवार के अहम हिस्से की तरह जुड़ा रहता है और वाही दूसरी तरफ बरसात में टपकती छत आपको परेशान कराती है। पतरे से पसीजकर टपक टपक कर बून्द बून्द गिरता पानी आपको रात में सोते वक़्त करवट बदलने को मजबूर कर देता है।
पढ़ाई-लिखाई के बाद मुझे एक अच्छी कम्पनी में नौकरी मिल गयी थी। धीरे-धीरे कुछ पैसे भी जमा हो गए तो एक नए घर की तलाश शुरू हुई। अब जिंदगी का सबसे बड़ा कदम लेना था। अपने चल के मित्रो को छोड़कर एक बड़ी ईमारत में घर की तलाश शुरू हो गई। पहले लोकल दलालो के माध्यम से घर ढूंढने की कोशिश की परन्तु कुछ ही समय में मुझे ये ज्ञात हो गया की लोकल दलाल भाव को बढ़ा चढ़ाकर अपना कमिसन खींचते है तो ऑनलाइन सर्फिंग करने पर मैं https://housing.com/ की वेबसाइट पर पहुंच गया।
https://housing.com/ की वेबसाइट के मदद से कुछ घर शॉर्ट लिस्ट किये और सीधे उनके मकान मालिको से मिलने पहुँच गया। एक घर मुझे बहुत पसंद आया और फिर उसके मालिक से घर का भाव तय हो गया। सबसे बेहतरीन बात ये थी की पुरे घर की कीमत १००% वाइट मनी में तय हुई। एक हफ्ते में पेपर वर्क हुआ और फिर मैंने पेपर लोन के लिए भेज दिए। पंद्रह दिन के अंदर बैंक ने घर का पूरा लोन दे दिया और चाभी हमारे हाथ में आ गई। घर का इंटीरियर डेकोरेशन पहले से ही बेहतरीन था तो थोड़े मोड़े छोटे छोटे बदलाव के बाद हम घर में शिफ्ट होने की तैयारी करने लगे।
मैं, माँ और पिताजी घर के अंदर जब पहली बार आये तो हम सब के चेहरे पर एक नयी मुस्कान थी। वो खुशियाँ जो आपको जीवन में रोज रोज नहीं मिलती। मुंबई में खुद का घर होना एक दिवःस्वप्ना की तरह लग रहा था। बालकनी से आ रही हवा की थपेड़िया एक नया अहसास करवा रही थी। सड़क पर दौड़ती गाड़िया और चलते लोग आज बहुत प्यारे दिख रहे थे। पंक्षी आकाश में आज यो उड़ रहे थे जैसे मुझे बधाई देना चाहते हो और मैं इन खुशियों की बीच तैयारी में था की अब घर वालो को अपने प्यार के बारे में बता दूँ। एक घर ने जीवन में कितनी नई खुशियाँ भर दी।
No comments:
Post a Comment