badge पुरानीबस्ती : #कविता - तस्वीरों से भरी दीवारें
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Thursday, May 12, 2016

#कविता - तस्वीरों से भरी दीवारें




वो तस्वीरों से भरी दीवारें,

अब सूनी लगती हैं,
फ्रेम टूटे नही,
किसी ने उन्हें उतारकर कोने में रख दिया है,
कहते हैं बुजुर्गो के दिन बीत गए,

एक मैं भी उन तस्वीरों में,
और साथ मेरे मेरी बीबा,
एक कमरे के मकान में,
हमने जिनको पाला था,
वो बच्चे अब हमें
दीवारों पर भी जगह नहीं देते।

तस्वीरों से बदसलूकी
जायज नही लेकिन,
हम फ्रेम से बाहर निकलकर
झगड़ भी तो नही सकते।

वैसे भी कई दिनों से टंगे थे,
दीवारों पर,
लटका दिया था
प्लास्टिक का हार,
धूल भी तो साफ नही करता कोई,
कि अब फ्रेम में दम भी घुटता है।

अब यहाँ कोने में पड़े हैं,
इंतजार है किसी दिन,
पोता आकर तोड़ देगा फ्रेम को,
आजाद हो जायेंगे,
खुली हवा में लौट जायेंगे।

वो तस्वीरों से भरी दीवारें,
अब सूनी लगती हैं,
फ्रेम टूटे नही,
किसी ने उन्हें उतारकर कोने में रख दिया है,
कहते हैं बुजुर्गो के दिन बीत गए।

2 comments:

Tricks and Tips