badge पुरानीबस्ती : #कविता - एक बूँद की जिंदगी का सफर
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Monday, May 9, 2016

#कविता - एक बूँद की जिंदगी का सफर


एक बूँद की जिंदगी का सफर,
बिछड़ता हैं अपनों से फिर आकर मिलता है,
कही पोखरे से भाँप बनकर आकाश की जानिब बढ़ता है,

रहता गगन में बादलों के अंदर छिपकर,
विचरण करता हवा के रथ पर,
फिर बोझील होते बादलों से विदा लेता,
वो बूँद फिर आकर टप से पोखरे में पड़ती है,

कभी ओस की बूंद बनकर,
सरकता पत्तों की गरदन से,
सतत चलता रहता हैं,
बदलते मौसम,
दशा और दिशा बदलती है,

एक बूँद की जिंदगी का सफर,
कुछ कुछ मेरी आत्मा सा है,
बदले रुप कई,
आगे भी बदलती रहेगी,

एक बूँद की जिंदगी का सफर,
बिछड़ता हैं अपनों से फिर आकर मिलता है,
कही पोखरे से भाँप बनकर आकाश की जानिब बढ़ता है,

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