आधुनिक क्रांति अविष्कार है अभिशाप पर लिखा जानेवाला निबंध मुंबई में बरसों से खेल दिखाने वाले प्रेमचंद की कहानी के किरदार बंदर मन्नू और मदारी बुधिया के लिए अभिशाप बनकर सामने आया है।
मन्नू को पुलिस वाले साहब ने एक सर्कस कंपनी को बेच दिया । जहाँ उसके ऊपर तरह - तरह के अत्याचार हुए और एक दिन सर्कस में जब आग लगी तो मन्नू भी मौका देखकर वहाँ से भाग निकला।
बुधिया से मिलने के बाद मन्नू को ज्ञात हुआ की उसके वियोग में जीवनदास की मृत्यु हो गई और बुधिया सभी बच्चों के लिए पगली नानी बन गई। बुधिया जब पहली बार मन्नू से वापस मिली तो उसे अपने निर्वस्त्र होने का आभास हुआ।
मन्नू एक बार फिर सड़कों पर करतब दिखाने लगा और अपने साथ - साथ बुधिया का जीवनयापन करने लगा। परंतु मल्टीप्लेक्स के इस युग में लोग अपने ५ इंच से लेकर ७ इंच के मोबाइल के अंदर सिमट कर रह गए हैं।
मन्नू अब बुधिया के साथ सड़क पर खड़े होने के लिए जगह भी नहीं पाता है। मुंबई में अब सड़क कम और उसपर चलनेवाले गाड़ियों और लोगों की संख्या बढ़ गई है। मन्नू का नाच आज भी लाजवाब है लेकिन किसी को फुरसत ही नहीं की उसके नाच को देख सके।
प्रेमचंद की कहानियों में नाम कमाने वाले मन्नू और बुधिया अब बेरोजगार हो चुके हैं मुंबई से पलायन की तैयारी कर रहें हैं।
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