badge पुरानीबस्ती : शराबबंदी से बिहार सर्वधर्म समभाव के स्तंभ को चोट
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Tuesday, December 26, 2017

शराबबंदी से बिहार सर्वधर्म समभाव के स्तंभ को चोट




बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने जो सबसे बुरा काम किया वो है, बिहार में शराबबंदी। 


बिहार में शराबबंदी को बिहारियों ने ईसाई धर्म के ऊपर आघात बताया है। गौरतलब है कि हर वर्ष क्रिसमस के मौके पर बिहारी खूब दबाकर शराब पीतें हैं और घर पर बीबी के द्वारा रिमांड पर लिए जाने पर यह बोलकर बच जातें हैं कि आज एक ईसाई दोस्त ने भगवान यीशु को शराब का भोग लगाकर उन्हें प्रसाद में दिया तो उन्हें ना चाहते हुए भी शराब को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना पड़ा।

नीतीश कुमार ने शराबबंदी करके ईसाई समाज को उनके त्यौहार मनाने से दूर कर दिया है और अन्य धर्म के लोगों को प्रसाद के रूप में शराब ग्रहण करने के लिए जो खलल उत्पन्न किया है उसके लिए उन्हें भगवान पाप देंगे।

वही नए साल पर शराब पीकर लड़की छेड़नेवालोंने शराबबंदी के विरोध में तर्क देते हुए कहा कि पहले वो नशें में लोगों को छेड़ते थे तो लोग ये बोलकर उन्हें छोड़ देते थे कि शराबी के मुँह कौन लगेगा लेकिन अब वो होश में किसी को छेड़ेंगे तो उनकी पिटाई हो जाएगी।

अंत में बिहार के समाजसेवी संस्थानों ने कहा कि शराबबंदी से बिहार सर्वधर्म समभाव के स्तंभ को चोट पहुँचाना तय है क्योंकि हरिवंश राय बच्चन कह गए, "बैर कराते मंदिर - मस्जिद, मेल कराती मधुशाला।"

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