badge पुरानीबस्ती : #व्यंग्य - बॅास के बारे में पत्राचार
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Sunday, December 20, 2015

#व्यंग्य - बॅास के बारे में पत्राचार




प्यारे मित्र सत्य,



"कहावत है माँ मरे पर जिये मौसी" मेरे बॅास को देखकर मुझे यही याद आता है। कभी कभी सोचता हूँ मेरा बॅास कितना भोला है। स्वयं को प्रभु श्रीराम और मुझे हनुमान समझता है। हर दिन मुझे बुलाकर बोलता है,"भक्त आज का क्या प्लान है?" मैं दबी सी आवाज को जोर से निकालने की कोशिश करते हुए कहता हूँ,"प्रभु पिछले सप्ताह के बुधवार तक का काम पूरा हो गया है।" बॅास मन में ही हँसता है और चार नए काम दे देता है।" जब कभी उसे लगता है कि आज मैं हिम्मत हारकर हथियार (त्यागपत्र) डाल दूंगा वो मुझे जामवंत जी की तरह मेरी शक्तियों के बारे में याद कराता है। 

बॅास के हर दिए गए कार्य को मैं झठ से अपना कर्तव्य समझकर समुंदर पर छलांग लगा देता हूँ। और क्यों नही लगाऊँ? अभी पिछले सप्ताह जब मैं रोज रात १२ बजे निकलकर सुबह ९ बजे ओफिस आ जाता था तब ओफिस के चपरासी ने भी कहा था कि भाई तुम हो तो ये कंपनी चल रही है वरना कब की बंद हो जाती। दूसरा कारण तो वो मेरा फुड और ट्रावेलिंग वाउचर था जिसे अकाउंट्स वालों ने ३०% काटकर दिया था, बॅास के अनुसार उन्होंने पूरा वाउचर पास किया था लेकिन अकाउंट्स वालों ने रूल बुक देखकर ३०% काट लिया। उस दिन पता चला लाचार बॉस रुल बुक के सामने कुछ नहीं कर सकता है

"कमल कैन डू एनिथिंग फॅार यू" क्लाईंट के सामने जब बॅास ने ये कहा उस दिन  से तो मेरे रोम रोम में बॅास और उसका मेरे ऊपर जो आत्मविश्वास है उसका मुरीद हो गया अब तो मेरे मन में मेरी कंपनी के भले की बात बसती है। कंपनी का भला इतना सोचता हूँ कि मेरी कमर उस टूटी कुर्सी के कारण कई दिनों से दर्द कर रही है परंतु मेरी कुर्सी बदलने पर औरों की कुर्सी भी बदलनी पड़ेगी और इससे कंपनी का खर्च बढ़ जाएगा। इसलिए अब आयोडेक्स मलिए काम पर चलिए वाला हिसाब हो रखा है।



मेरे जैसा बॅास आप सब का नही होगा, रात दिन नही देखता । सीधे फोन दनदना देता है एक दिन तो रात २ बजे किसी पार्टी से लौटते वक़्त मुझे फोन घुमा दिया और फलाना क्लाइंट के कामपर अपडेट लेने लगा। मैं तो मन ही मन खुश हुआ,"देखो मुझे अपना समझता है इतनी रात को फोन करने में भी जरा भी नही हिचकिचाया।"


प्यारे कमल,

तुम्हारा पत्र पाकर बहुत खुशी हुई। ये जानकर बहुत अच्छा लगा कि आज भी तुम किसी की शिकायत नही करते हो। हमे याद है किस तरह तुमने हमारी शिकायतों को देखकर भी अनदेखा किया है। अब मेरे बॅास की हकीकत सुनो। यही हकीकत तुम्हारे बॅास की भी है। चाहे मानो या ना मानो।

मेरा बॅास एक नंबर का कमिना, लतखोर और ठरकी आदमी है। पिछले एक साल में तीन पीए छोड़कर चली गई। उसमें से तो एक मेरे से सेट हो रही थी और बॅास को इसकी भनक लग गई और फिर मेरा और तेरी ना हो सकने वाली भाभी को कमीने ने परेशान करना शुरू कर दिया। मेरा बस चले तो साले को गिरा गिराकर मारू वैसे ही जैसे चून्नी मास्टर को गिरा गिराकर मारा था लेकिन अपना ठीकाना और कही ना लगने वाला और फिर इस सैलरी में थोड़ा बहुत सुनना ट्विटर पर दिनभर बेरोजगारों जैसा बैठकर ट्वीट करने से तो अच्छा है।

मेरा बॅास तो बहुत होशियार है। एक सप्ताह का काम एडवांस में देकर रखता है। पिछले सप्ताह उसने मुझे कैंटिन मे गप्प करते देख लिया और फिर क्या मेरे असिस्टंट को छुट्टी दे दिया और अब मैं अकेला आटे की चक्की पीस रहा हूँ। मेरे बॅास को चले तो घर की भाजी -दूध भी मुझसे ही मंगवाए, वो तो उसकी बीबी इतनी सुन्दर है कि घर बुलाने से डरता है।

सात समंदर मसी करूँ, लेखन सब बनराय


धरती सब कागद करूँ, बॉस की निंदा लिखन ना जाय


सात समंदर की स्याही बनाकर, पूरे पृथ्वी को कागज बनाकर यदि सारे जंगल काटकर उसकी कलम बनाकर यदि बॅास के बेहूदापन के बारे में लिखूँ तब पर भी उसकी निंदा पूरी नही होगी। मैं जानता हूँ आप का भी हाल यही है लेकिन आप अपने आप को खुश रखने के लिए अपने बॅास को भगवान समझते हो। आगे भी पत्र लिखकर अपने मन को झूठी तसल्ली देते रहना।

तुम्हारा प्यारा,
सत्य









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