badge पुरानीबस्ती : #कविता - तोड़ दो बंधन
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Monday, May 2, 2016

#कविता - तोड़ दो बंधन




तोड़ दो बंधन,

स्वच्छंद हो

बह चलो मेरे साथ,

एक तराना गायेंगे,

एक फसाना बनाएंगे,

तोड़ दो बंधन।



तोड़ दो बंधन,

सोचो ना अंजाम,

एक डोर को छोड़,

पतंग बन जाएंगे,

भले न हो मंजिल का पता,

हवा में उड़ते जायेंगे,

तोड़ दो बंधन।



तोड़ दो बंधन,

तो रंग नया होगा,

उमंग नया होगा,

जीवन नया होगा,

ना डर हार का होगा,

ना गम ना जीत पाने का ,

तोड़ दो बंधन।

3 comments:

  1. Nice one. Padh kar achha laga :)

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  2. Hi,

    Aapke तोड़ दो बंधन kabita ko pordh ke muje bohot achha laga. Thanks for sharing.

    Thanks

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