badge पुरानीबस्ती : #कविता - चलो एक शहर बसायें
चाँद भी कंबल ओढ़े निकला था,सितारे ठिठुर रहें थे,सर्दी बढ़ रही थी,ठंड से बचने के लिए, मुझे भी कुछ रिश्ते जलाने पड़े।

Wednesday, June 22, 2016

#कविता - चलो एक शहर बसायें




चलो काटे कुछ जंगलों को,

उजाड़े बसेरा बेजुबानो का,
लगाकर लोहे की फेन्स,
चलो एक शहर बसायें।

पाटकर गढ़हा एक मैदान बनाए,
खनकर मैदान को नाली बहा दे,
पेड़ पौधों को काटकर,
जंगले पर कुछ फैन्सी गमले रख दे,
चलो एक शहर बसायें।

बरसात के दिनों में,
जब बाढ़ आ जाएगी,
तब कोसेंगे नसीब को,
बह जाएंगे के ख्वाब सारे,
चलो एक शहर बसायें।

दूर शहर से
जिंदगी जीने जाएंगे,
जंगल को टेम्पररी घर बनाएंगे,
चलो एक एक करके गांव को उजाड़े,
चलो एक शहर बसायें।

No comments:

Post a Comment

Tricks and Tips