भारत में गिरगिट बहुताय मात्रा में पाए जाते हैं। हर गली, हर सड़क, हर मोहल्ले में गिरगिटों ने अपना कब्जा कर लिया। सड़क के किनारे बड़े - बड़े पोस्टरों पर अलग-अलग रंग में गिरगिट हाथ जोड़कर लोगों को अपना बदलता रंग दिखा रहें हैं।
भारत में पाई जानेवाली गिरगिट प्रजाति ऐसे तो किसी को अपना भगवान नही मानती है परंतु गाँधी जयंती, गाँधी पुण्यतिथि और अंबेडकर जयंती, अंबेडकर पुण्यतिथि इनके प्रमुख समारोह हैं। गाँधी और अंबेडकर की पूजा करना इन गिरगिटों की मजबूरी है क्योंकि पाँच साल में एक बार इन्हें जनता के पास वोट मांगने जाना होता है।
गिरगिट अंबेडकर और गाँधी की पूजा करने के बाद, बंद कमरे में जोर-जोर से हँसते हैं कि आज लोगों को अच्छा बेवकूफ बनाया। कुछ गिरगिट तो अंबेडकर और गाँधी का पूरा नाम भी नहीं जानते हैं लेकिन उनके आदर्शों पर चलने की बात कुछ इस तरह करेंगे कि मानो स्वयं रात-दिन वही करतें हैं जो अंबेडकर और गाँधी कह गए हैं।
आज सभी गिरगिट अंबेडकर जयंती महोत्सव मना रहें हैं। आज वो अंबेडकर रंग धारण करके आपको अंबेडकर के महान कार्य भाषण करके सुनायेंगे। एक गिरगिट तो इतने महान हैं कि उन्होंने पिछली बार दक्षिण अफ्रीका के नेता मंडेला का कार्य अंबेडकर साहब के नाम पर पढ़ दिया था। उनसे सीख लेते हुए दूसरे तेजस्वी गिरगिट ने गाँधी को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री और रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का प्रेसिडेंट बता दिया था।
इसलिए गाँधी जी और अंबेडकर गिरगिटों के पूजनीय और देवता हैं। क्योंकि उनके नाममात्र के दुरपयोग से उनके सभी काम हो जाते हैं।
वैसे पूरे भारत में सभी तो गिरगिट नहीं होते, और आप जिन गिरगिटों की बात कर रहे हैं, संभवतः उनके लिए अंबेडकर या गांधी बस नाम मात्र के भगवान हों, पर इस देश में एक ऐसा भी समाज है, जिसके लिए अंबेडकर जी, सच में भगवान से कम नहीं हैं। और उनके लिए आपकी ये पोस्ट केवल बकवास मात्र है।
ReplyDeleteजिनके लिए वो भगवान हैं, उनके खिलाफ इस आर्टिकल में कुछ भी नहीं है।
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